कौशल्या के लाल-“संध्या सिंह”

हे कौशल्या के लाल।
हे दशरथ जी के नंदन।।
धरे हम नीत उठ तेरा ध्यान।
करें जन-जन तेरा अभिनंदन।।
हे कौशल्या के लाल।
हे दशरथ जी के नंदन।।
हे देवों के हितकारी।
करते भक्तो की रखवाली।।
जो आए शरण तिहारी।
दु:ख भय क्रोध न।।
उनको सताती।
हे सूख कारी दु:ख भंजन।।
हे कौशल्या के लाल।
हे दशरत जी के नंदन।।
हे मर्यादा पुरूषोत्तम।
तेरी महिमा सबसे उत्तम।।
तुम रघुकुल रीत निभाते।
क्या करू में महिमा बखान।
देव भी करते तेरा बन्दन।
हे कौशल्या के लाल।।
हे दशरत जी के नंदन।
तेरा परम भक्त हनुमान।।
हृदय में रखते सीया और राम।
धरे नित देव भी तेरा ध्यान।।
बेरा पार करो है राम।
यही भजते है सब संतन जन।।
हे कौशल्या के लाल।
हे दशरत जी के नंदन।।

स्वरचित रचना

संध्या सिंह, पुणे महाराष्ट्र

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