इन्सान ही इन्सान की दवा है, कोई दुख देता है तो कोई सुकून बन जाता है ——!!
और फिर अगला कदम पता नहीं क्या हो, कोई रक़ीब और कोई जुनून बन जाता है।
आशिक़ दिल है तो बल्ले बल्ले, आशिक़ी जीने का मज़मून बन जाती है।
और अगर एक अच्छा हमदर्द मिल जाये तो , महज़ दिल ही नहीं, रूह तक तृप्त हो पाती है।
फिर ज़िंदगी भी प्रेम से भरे गीत हरदम गुनगुनाती है।
बुरा तब लगता है जब इंसान दवा नहीं, मर्ज़ बन जाता है——-और किसी को दुख पहुँचाता है।
तब ज़रूरत पड़ती है दुआ की और उस ख़ुदा की।
क्योंकि किसी को सदबुद्धि देना, ये काम नहीं है आसान, ये काम कर सकता है हमारा भगवान।
उस परम पिता परमेश्वर ने जब ये दुनिया थी बनाई, तब हर दिल में सिर्फ़ प्रीत थी समाई।
हम इंसानों ने कर दिया सब बर्बाद, इस छोटी से बात को हमने रखा नहीं याद।
प्रभु ने तो बहुत कीं थी अमन , चैन और शान्ति की बरसातें———लेकिन हम मूर्ख इंसानों ने हर शय नज़रअंदाज़ कर यूँ ही गवाँ दीं ये सब बेशक़ीमती सौग़ातें।
क्या कहूँ, क्या लिखूँ, दिलों में लालच और दग़ाबाज़ी ने कर लिया प्रवेश, फिर फैल गई हिंसा और फैल गया द्वेष।
इंसान हो गया अभिमानी और अहंकारी, और ये भूल हम बाशिंदों को पड़ी बहुत भारी।
अहम का हो गया वजूद, बस मैं मैं का मच गया शोर———रोशनी फिर मध्यम पड़ गई, और छा गया नासमझी का अंधेरा घनघोर ।
ख़ैर , उस रब पर है हमें विश्वास, और उसी से हमने रखी हुई है आस।
मौला मेरे, तो चला दे एक ऐसी जादू की झड़ी, कि सुकून से लिप्त हो जाये हर घड़ी।
ख़ुशियाँ ही ख़ुशियाँ हो, सब मिलकर मनाएँ होली और दिवाली——तो एक बार फिर से इस धरती की शान हो जाये निराली।
मालिक मेरे, तो चाहे तो सब है मुमकिन, हम सब तो हैं तेरे हाथों की कठपुतलियाँ——।
तो ऐसा कर कि पूरे वातावरण में प्रीत के रस से भरी उड़ने लगें रंग बिरंगी तितलियाँ——-!
कवि——-निरेन कुमार सचदेवा।
God gave us such a nice pious world 🌍, we humans really spoilt it , do you agree 👍 my dears ???
Posted inArticles