
तन मन की शुद्धता का पावन पर्व
छठ पर्व का दूसरा दिन खरना होता
खरना का अर्थ है शुद्धिकरण (खरा)
व्रती दिन में निर्जल व्रत शाम को
नवीन वस्त्र धारण करती छठी मैया के
पूजन हेतु प्रसाद माटी के चूल्हे पर
शुद्ध स्वच्छ आटे की रोटी (पूड़ी)
दूध, गुड़,अरवाचवल(साठीचावल)से
मीठी खीर पकाती,घी के दीप जलाती,
मूली ,केले,रोटी ,खीर ,का प्रसाद सजा
अन्त:करण के शुद्ध भाव भंगिमा से,
सूर्य देव की बहन छठी मैया के आगे,
सिन्दूर तिलक धूप अगरबती से पूजन,
माथा टेकती,बच्चों की खुशहाली के लिए,
सब की जग जननी अंबे छठी मैया से,
आंचल पसार बार बार जग कल्याण हेतु,
मॉं से विनती करती, उनका आशीष पाकर,
सब परिवार जनों को छठी मैया का दर्शन कराती,
सबको सिन्दूर से तिलक कर प्रसाद देती
फिर बड़े शांत भाव से जल प्रसाद लेती,
आन्तरिक शुद्धता के साथ सूर्य देव के
पूजन हेतु खुद को कर लेती तैयार
मॉं देती हैं उनको शक्ति षष्ठी पूजन
और अस्तांचल जाते हुए सूर्य देव को
अर्ध्य देते हैं निर्जल निराहार जल में
खड़े हो कर श्रद्धा और आस्था से उपासना!!
(स्वरचित)
_डॉ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार