
किसी के जाने से सांसों का कारोबार नहीं रुकता।
हम भले ही रुक जाएं, मगर ये संसार नहीं रुकता।
नहीं जुड़ता है आइना जो टूट जाए इक बार तो
वैसे ही किसी पर दुबारा से एतबार नहीं रुकता।
हमने सोच लिया, नहीं बेचेंगे अपनी सुख की नींदें
ऐ साहिब, फिर भी ख्वाबों का बाजार नहीं रुकता।
सितमगर होता है जमाना, ये हमने आजमाया है
फिर भी इस ज़माने में, सच्चा ये प्यार नहीं रुकता।
सुशी सक्सेना