
सूर्य देव को अर्ध्य लगाएं ।
चर्म रोग को दूर भगाएं ।।
गीत छठी माई की गाएं ।
महिमा मैया की बतलाएं ।।
चार दिवस छठ ब्रत यह चलता ।
शुरू नहाए-खाये बढ़ता ।।
छाल आम की लोग जलाते ।
बना ठेकुआ भोग लगाते ।।
सुपली-डगरा में फल धरते ।
सेव-नारियल-केला भरते ।।
खास यहाँ होता केतारी ।
महिमा छठ माई की भारी ।।
गंगा मैया के तट जाते ।
धूमधाम से पर्व मनाते ।।
नए-नए कपड़े सब पहने ।
निर्मल मन से पूजन करने ।।
गंगा धार खड़े हो जाते ।
दूध-नीर का अर्ध्य चढ़ाते ।।
शाम अर्ध्य सूरज जब ढलते ।
अर्ध्य सुबह फिर सूरज उगते ।।
निराहार जो माँ को ध्याते ।
वो आशीष छठी का पाते ।।
पूर्ण मनोरथ सबकी होगी ।
बच्चे होंगे स्वस्थ्य निरोगी ।।
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✒️ राजकुमार छापड़िया 🙏