दीपावली आई दीपोत्सव मनाओ-“अलका जैन”

दीपावली के लिए मिट्टी के दीपक लाओ झुम झुम के रे भाई झुम के
दीपक कोन बनाता है
दीपक क्या सोने चांदी से सुनार बनाता बोलो
नहीं नहीं दीपक सुनार
नहीं बनाता गलत जबाब
दीपक कोन बनाता बताओ
जोहरी हीरे-जवाहरात वाला
नहीं नहीं फिर गलत जबाब
बताओ दीपक कोन बनाये
ना सुनार ना हीरे मोती वाला जोहरी
दीपक बनाकर कर तैय्यार करें मिट्टी से सना कुम्हार बाबू
जिंदगी में रोशनी कोन भरता
मिट्टी से सना कुम्हार बाबू
दीपक कतार में में जब रखें जाते दीपावली मनाई जाती रे बाबू
एक दीपक दूजे को जलाता सहयोग बनाता
कुम्हार तेरा हुनर लाजबाव
तुझे सलाम दीपावली पर
चक्करी अनार सारे फटाके को अग्नि देता दीपक
घर घर में खुशियां बांट रहा दीपक
लक्ष्मी पूजा इसलिए होती लक्ष्मी का जन्मदिन होता इस रोज
लक्ष्मी की पूजा करो धन दौलत वास्ते खूब
रामजी आये रावण का वध कर सब खुशियां मनाई
मिठाई बांट रहे सब मुफलिस को भाईजी
नये वस्त्र खरीद हर्ष मनाते
दीपावली ऐसा त्यौहार पहले-पहल सब हाथों को काम दिलाये
आदमी नहीं खोजें काम
काम आदमी को खोजता फिरता
आये घर लक्ष्मी
फिर मनाओ दीपावली
बाजार में रौनक देखो भाई
रामजी घर लौट आये इससे बड़ी खुशी कौनसी
अलका जैन इंदौर

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