हसीनों के लिए मचल कर
रूप यौवन पर फिसल कर
देख लिया कुछ नहीं मिला
इश्क की राह पर चल कर
फैसला अपना बदल कर
देख लिया कुछ नहीं मिला
यादों में उसकी सिमट कर
तस्वीर से उसकी लिपट कर
देख लिया कुछ नहीं मिला
वफ़ा की झूठी उम्मीद पर
चल कर दिल की जिद पर
देख लिया कुछ नहीं मिला
उस बेवफा से प्यार करके
एक अरसा इंतजार करके
देख लिया कुछ नहीं मिला
अपने दिल का हाल बता कर
“सुलक्षणा” को दर्द जता कर
देख लिया कुछ नहीं मिला
डॉ सुलक्षणा