
हूं परेशान बहुत अरमानों को जला कर के,
दूं इल्ज़ाम किसे, मिलेगा क्या गिला कर के।
छीन लेता है वक्त सारी खुशियां ए ख्वाहिश,
बस एक नासूर सा रिश्ता दिला कर के।
लूटते यहां रोज ही बारात हर मजबूर का,
बस एक बार जनाजे से जिला कर के।
तिल_तिल की प्यास से मर रहा कोई,
क्या मिलेगा आखिर में,गंगाजल पीला कर के।
हसरत जिन्हें दो पल सुकून से जीने की,
तुम फारिक उन्हें महल_अटारी दिला कर के।
रजनी प्रभा
Wah wah umda👌👌✍️✍️
फारिक किसे कहते हैं?