पारिवारिक एवं सामाजिक समन्वय का स्तम्भ है बालिका

जहानाबाद । अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर सच्चिदानंद शिक्षा एवं समाजकल्याण संस्थान की ओर से आयोजित समाज का उन्नयन में बालिका की भूमिका विचार गोष्टी में भारतीय विरासत संगठन के अध्यक्ष साहित्यकार व इतिहासकार सत्येन्द्र कुमार पाठक ने कहा कि सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन मे बालिका की भूमिका सर्वोपरि है । पारिवारिक और सामाजिक समन्वय का सशक्त स्तम्भ बालिका है ।बालिका दिवस मनाने का मूल उद्देश्य बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना है। बालिका दिवस लिंग-आधारित चुनौतियों को समाप्त करता है। जिसका सामना दुनिया भर में लड़कियां बाल विवाह, के प्रति भेदभाव और हिंसा शामिल है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 में ‘लड़कियों के अधिकारों में निवेश करें: हमारा नेतृत्व, हमारा कल्याण’ निर्धारित है। पारिवारिक और सामाजिक समन्वय का स्तम्भ बालिका है । अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का प्रारंभ गैर सरकारी संगठन ‘प्लान इंटरनेशनल’ के प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी। संगठन ने “क्योंकि मैं एक लड़की हूं” नाम से अभियान के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया गया। कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में प्रस्ताव को रखा और 19 दिसंबर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र ने प्रस्ताव को पारित किया। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के लिए प्रतिवर्ष 11 अक्टूबर तय की गई और 11 अक्टूबर 2012 से प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है । इस अवसर पर संस्थान के कार्यक्रम पदाधिकारी पप्पू कुमार , पी एन बी के सेवानिवृत्त अधिकारी सत्येन्द्र कुमार मिश्र बालिका उत्थान के लिए महत्वपूर्ण विचसर व्यक्त किया ।

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