पिता-“अनुभव छाजेड़”

पिता एक मुकम्मल जहां है,
जिसके बिना घर का हर कोना तनहा है,
पिता से है घर में रौनक ,
पिता परिवार में हिम्मत की दास्तां है।

पिता एक ऐसी शख्सियत है,
जो उम्मीद का आसमां है,
परेशानियां हमको ना घेरे,
पिता संघर्ष करता हुआ पहरेदार है।

पिता की गोद गर मिल जाती,
कदमों में दुनिया मुट्ठी में आसमान है,
दिखती है उनकी बंदिशें और सखतियॉं,
असल में वही कराती जीवन की पहचान है।

संघर्ष की प्रतिमूर्ति पिता
नई ऊर्जा का संचार है,
सपनों को हमारे पूरा करने में,
पिता लगाता अपनी जान है।

बहुमूल्य तोहफा ईश्वर का,
जिससे घर गुलजार है,
मां के माथे की बिंदिया वो,
मां के चेहरे की मुस्कान है।

पिता का हाथ जो हो सिर पर
महफूज रहे हम सारे
पिता की हस्ती देखकर
हौसलों में आती नहीं उड़ान ह

पिता एक मुकम्मल जहां है,
पिता एक मुकम्मल जहां है।।

अनुभव छाजेड़
पटना सिटी

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *