पिताजी पर गर्वमेरे पिताजी पंडित सीताराम त्रिपाठी थे महान। साहित्यकार , शिक्षाविद् हो हो कर पाया था सम्मान। मुझे बड़े लाड़ -प्यार से पाला पूरी किए अरमान। नैतिक संस्कृति और सनातन धर्म का दिया ज्ञान। मेरे पापा थे बड़े महान, दी मुझे समाज में पहचान। समाज सेवा, साहित्य सेवा में थे वे अग्रणी बढ़ाई शान। मुझे पढ़ाया ,नौकरी पर लगाया , सदैव दी मुस्कान। बचपन में झूला झुलाया, अपने हाथों खाना खिलाया, वें थे महान। देश सेवा में ,त्याग, समर्पण कर, तन ,मन, धन से दिया योगदान ।शैक्षणिक ,साहित्य, समाज सेवा में उन्हें अनेक मिले सम्मान। मेरे प्रेरणा स्रोत मेरे पिताजी को, भारतीय होने का था गर्व अभिमान ।आर्थिक संघर्ष किया उन्होंने बहुत ,सबके थे कद्रदान ।हम बच्चों को जीवन जीने की कला सिखाई, बढ़ाया स्वाभिमान ।अपने कुल -खानदान की बढ़ाई पिताजी ने आन -बान- शान ।मेरे पिताजी को अर्पित श्रद्धा सुमन और कोटि-कोटि नमन सम्मान ।मेरे पिताजी पर ,मुझे गर्व है, वे थे महान ।रचयिताडॉ शशिकला अवस्थी इंदौर मध्य प्रदेश
