प्यार एक अजूबा है, एक करिश्मा है-“निरेन कुमार सचदेवा”

किसी ने लिखा कि तुझ को अपना बना लिया है जब से , दुश्मन बना लिया है सब को तब से ।
बिलकुल सच है , औरों की तो छोड़ो , दुश्मन बन गये हैं अपने मन और तन , सोच रहें हैं कि अब कैसे कटेगा बाक़ी का जीवन ?
तन पे बस नहीं , हरदम तुम को मिलने को तरसता रहता है , मन तड़पता रहता है , दिल ज़रूरत से ज़्यादा धड़कता रहता है ।
इतने ज़िद्दी हो गए हैं , मानते ही नहीं , इतनी ज़्यादा धक धक , हानिकारक भी हो सकती है , इतनी ज़्यादा तड़पन , ये ठीक नहीं है , लेकिन ये जानते ही नहीं ।
शायद जानते भी हैं , लेकिन इनके बस में कुछ भी नहीं है , जूनूने इश्क़ कुछ इस तरह से सँवार है , हर दिशा में ख़ुमार ही ख़ुमार है , वातावरण में फैला हुआ अहसासे प्यार है ।
पलकों की ना पूछो , बोझिल हो गयीं हैं , आँखें आकस्मात बरसने लगती हैं , फ़िज़ाएँ भी जैसे दीवानी हो गयीं हैं , बिन बात हँसने लगतीं हैं ।
हमने बहुत सारी हसीनाओं में से तुम को चुना है , तुम्हें अपना बनाया है , तो अब सब बाक़ी हसीनाएँ सोच रहीं हैं कि हमने उनके साथ ऐसा क्यूँ किया है ?
तो फिर दुश्मनी तो होना लाजिम हैं , बहुत नाराज़ हैं वो सब , नासाज़ हैं वो सब ।
जज़्बातों और अहसासों की पूछो मत ,विश्वास नहीं होता कि यह भी बन गए हैं रक़ीब , जब से हम दोनो आ गए हैं क़रीब ।
चंद पल ना तुम को देखना , अहसासों को ख़बर हो जाती है , फिर इश्के दर्द का जागना , और जज़्बातों का क्या कहना, हर वक़्त करना पड़ता है मदजोशी का सामना ।
प्यार में इतनी बेचैनी , अनुचित है , कभी तो चाहिए सुकून भी , प्यार में होने चाहिए , कुछ क़ायदे क़ानून भी !
अगर इतना बेतहाशा प्यार है , तो एक पल भी ना जाया करो हम से दूर ।
दुश्मन दिल का भरोसा नहीं , इतना ही ना धड़कने लगे , मन इतना ही ना तड़पने लगे ।
के हम ये सब सहन ना कर पायें , हमारी जान ही चली जाए , फिर किस का होगा क़सूर ?
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा
This is called “Fatal Attraction “.

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