बदलता नजरिया-“विकास अग्रवाल”

अभिषेक और सुमन ने बेटे-बेटी का विवाह उनकी पसंद से कराया। रीटा सुसराल चली गई और संतोष नौकरी के चलते रेखा के साथ इंदौर चला गया।

सुमन और अभिषेक अकेले रह गए, दो साल अकेले रहने के बाद एक दिन दोनों को लगा, कि रेखा और संतोष को भोपाल बुला लेते हैं।

अभिषेक ने संतोष को फोन लगाकर अपनी बात कही।
संतोष ने कहा- “पापा, मुझे और रेखा को कंपनी अमेरिका भेज रही है।”

आप रीटा से बात करके उसके साथ रहिए।

अभिषेक ने कहा – “संतोष, हम बेटी के घर का पानी भी नहीं पीते हैं, उसके घर में रहने की बात तो संभव ही नहीं है।”

अगले दिन संतोष ने रीटा को सारी बातें बताईं।

रीटा ने संतोष से कहा- “भाई तुम चिंता मत करो, मैं और संजय पापा-मम्मी से बात कर लेते हैं।”

रीटा घर गई और पापा से कहा – “पापा, संजय कह रहे हैं, आप दोनों को हमारे साथ रहना चाहिए।”

“अभी मम्मीजी पापाजी को कंचन दीदी के सास-ससुर ने अपने यहाँ रहने के लिए बुलाया था।”

अब जमाना बदल रहा है, बेटी के घर जाकर रहने को माता-पिता तैयार हो रहे हैं।

रीटा की बातें सुनकर सुमन और अभिषेक ने मना कर दिया, लेकिन जब संजय जी ने आग्रह किया, तो दामाद जी को मना नहीं कर पाएँ।


धन्यवाद के धन से धन्यवाद

©® विकास अग्रवाल बिंदल , भोपाल मध्यप्रदेश

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