बेटी से शान घर की-“प्रतिभा पाण्डेय”

हर जगह सफल रहना मेरी बेटी,
मेरे विश्वास पर विश्वास रखना मेरी बेटी,
अँगुली पकड़कर चलना सिखाऊॅगी मैं,
हमेशा जोश-उत्साह से चलना मेरी बेटी।
अच्छी बेटी,बहू , नारी बनना मेरी बेटी।

राह रोकने वालों की कमी नहीं ,
दरिन्दगी करने वालों की कमी नहीं,
पर घबरा कर रूक जाना नहीं ।
असम्भव को सम्भव करना है तुझे,
मुश्किल, असम्भव,
असफलता जैसे शब्दों से,
डराने वालों की कमी नहीं।

पापा के घर की शान हो ,
ससुर के घर का अभिमान हो ।
जिस भी घर में रहना मेरी बेटी,
आन बान शान घर जहान हो।

(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

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