
स्नेह में ही ताक़त है समर्थ को झुकाने की, वरना सुदामा में कहाँ ताक़त थी श्री कृष्ण से पैर धुलवाने की !
जादुई करिश्मा है ये स्नेह , वो तो जज़्बा था शबरी में ही , भगवान राम को झूठे बेर खिलाने का !
लेकिन लक्ष्मण ने झूठे बेर की क़ीमत नहीं जानी , तो प्रेम प्यार समझने के लिए होना चाहिए एक समर्थ व्यक्तित्व ।
हर मन में होना चाहिए प्यार का अस्तित्व , हर ज़िंदगी में होना चाहिए प्यार का महत्व ।
ये प्रेम , प्यार और स्नेह ,करामाती शब्द हैं , या पराओं को भी बना देते हैं अपना , ये सच कर सकते हैं जीवन का हर सपना ।
अहसासे प्यार मोहब्बत का इंसान की ज़िंदगी में एक बहुत उमदा दर्जा है , प्यार मोहब्बत ना हो तो फिर ज़िंदगी जीने का क्या मज़ा है , फिर तो ज़िंदगी एक सज़ा है !
सच्चा प्यार , दौलत , हैसियत , मलकियत और सल्तनत नहीं देखता , बहुत सादगी है इस जज़्बाते प्यार में , ये सिर्फ़ देखता है हक़ीक़त , असलियत और मासूमियत ।
श्री कृष्ण और सुदामा , कभी भी ना भूलना इनकी दोस्ती का उदाहरण , श्री कृष्ण एक भगवान , और सुदामा इंसान साधारण !
लेकिन प्यार को तो सिर्फ़ अच्छाई , सच्चाई और भोलापन पसंद है , इसे लालच और दग़ाबाज़ी नापसंद है ।
भगवान राम शबरी के झूठे बेर खाने से भी नहीं हिचकिचाए , आख़िर क्यूँ , क्यूँकि प्यार एक भक्ति है , जिसमें अपार शक्ति है !
प्यार ऊँच नीच , छोटा बड़ा , अमीर ग़रीब , ये सब नहीं जानता , प्यार के लिए हर इंसान समान है , प्यार तो यही है मानता ।
या खुदा , शुक्रिया है तेरा , जब तक ये अहसासे प्यार इस दुनिया में ज़िंदा है , तब तक यक़ीनन ख़ुश हर बाशिंदा है ।
इस पाक पवित्र अहसास प्यार की मैं करता हूँ पूजा , प्यार जैसा नहीं है इस कायनात में कोई दूजा !
कवि——-निरेन कुमार सचदेवा।
Love just understands goodness , nicety and simplicity !!