
ये फ़ेसबुक ही बेहतर है तमाम ठिकानों से , यहाँ अपनापन तो मिलता है अनजानों से ।
सच में बेहतर है तमाम ठिकानों से , यहाँ comments और like पढ़ कर इंसान बिन पिए ही झूमने लगता है , ये तो फिर बेहतर है मयखानों से !
बहुत प्यार , मोहब्बत और अपनापन मिलता है , यह एक ऐसी जगह है जहाँ कोई भी दिखा सकता है अपनी शायरी की माहिरी ।
रोज़ रोज़ जो टूटी फूटी शायरी मैं लिखता हूँ , उसे तुरंत फ़ेसबुक पर डाल देता हूँ ,आफ़रीन है यारो , तुम like भी कर देते हो , वाह वाह भी लिख देते हो , मुझे मिलती है बहुत ख़ुशी , चेहरे पर आ जाती है हँसी ।
सच में अपनापन मिलता है अनजानों से , शायद इन फ़ेसबुक friends को हम कभी भी ना मिलें , ना कभी होगी इनसे मुलाक़ात , लेकिन दिलों में तो नज़दीकियाँ हैं , फ़ेसबुक पर बयान करते हैं हम सब अपने जज़्बे , जज़्बात ।
क्या कहूँ , अजब कशिश है , ख़लिश है फ़ेसबुक में , सुबह उठ कर , इबादत कर , मैं फ़ेसबुक पर आए message पढ़ता हूँ , फिर कोई और काम करता हूँ ।
दुनिया के हर कोने से अब दोस्त बन गए हैं , जिनसे बेबाक़ बातें होतीं हैं , यही छोटी छोटी नियामतें तो ज़िंदगी की सौग़ातें होतीं हैं ।
फ़ेसबुक ने बसा दी है इस कायनात में एक और छोटी सी दुनिया , फ़ेसबुक तेरा बहुत बहुत शुक्रिया !
आभारी हूँ हूँ फ़ेसबुक का ,ज्ञान मिलता है , आदर मिलता है , मान और सम्मान मिलता है ।
और तहे दिल से आदर सत्कार करता हूँ उसका , जो फ़ेसबुक पर प्रतिदिन मुझे एक नया इंसान मिलता है ।
ये like देखने का अब मैं एक दीवाना सा हो गया हूँ , इस क़दर है दीवानगी , कि अगर फ़ेसबुक है शम्मा तो मैं परवाना सा हो गया हूँ ।
फ़ेसबुक एक ऐसा ठिकाना है जहाँ कई विचारों का होता है आदान प्रदान ।
फ़ेसबुक का मज़ा उठाते देखता हूँ मैं सब को , क्या बच्चे , क्या बूढ़े , क्या जवान ।
फ़ेसबुक को करते हैं हम सब बहुत प्यार , फ़ेसबुक ख़ुशियाँ बरसाती है , परेशनियाँ मिटाती है , देती है हमें बहुत क़रार ।
आख़िर में मैं यही कहना चाहूँगा , फ़ेसबुक है तेरा शुकराना , फ़ेसबुक है एक अज़ीज़ नज़राना , फ़ेसबुक तूने और ज़्यादा ख़ूबसूरत और आकर्षित बना दिया है ये ज़माना ।
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा।
Wah wah khoob 👌👌✍️✍️