मेरी ज़िंदगी की कहानी-“निरेन कुमार सचदेवा”

पढ़ने वालों की कमी हो गयी है आज इस ज़माने में , वरना मेरी ज़िंदगी का हर पन्ना एक पूरी किताब है ।
ऐसा नहीं कि ग़लतियाँ नहीं की हैं मैंने , मैंने कुछ पाप किए हैं तो अनेकों पुण्य भी किए है , लेकिन हर चीज़ का मेरे पास पूरा हिसाब है ।
कुछ नादानियाँ ज़रूर की होंगीं मैंने अल्हड़ उम्र में , तब इतना समझदार नहीं था , परंतु आज सब का भला करना चाहता हूँ , ये जज़्बा आज मुझ में बेहिसाब है ।
बहुत रोते हुए लोगों के आँसू पोंछे हैं मैंने , गिरतो को उठाया है , मेरी मदद के बाद उन बाशिंदों ने आभार भी जताया है , कहा शुक्रिया जनाब है ।
किसी मजबूर के होंठों पर जब मैं लाया हँसी , किसी लाचार का जब मैं सहारा बना ,
उस दिन मुझे इस बात का अहसास हुआ कि औरों को ख़ुशी बाँटने से ज़िंदगी हो जाती लाजवाब है ।
यक़ीनन आजकल के लोग बहुत लालची , ख़ुदगर्ज़ और मौक़ापरस्त हैं , अच्छाइयों की क़दर करना भूल गए हैं , ज़माना ख़राब है ।
इश्क़ , प्यार और मोहब्बत की मंज़िलों से भी गुज़रा हूँ मैं , नसीब वाला हूँ , आज तक मेरे साथ वो माहजबीन है , साथ मेरे उसका रुबाब और शबाब है ।
महबूबा मेरी , जो अब मेरी पत्नी है , नज़ाकत है उस में , अदाएँ हैं उस में , वो एक फूल गुलाब है ।
माँ बाप की कुछ ख़िदमत कर पाया मैं , ये सौभाग्य रहा मेरा , माँ बाप जब तक ज़िंदा थे , मेरी ज़िंदगी में रहा उनके आशीर्वादों का सैलाब है ।
हर धर्म की तहे दिल से इज़्ज़त करता हूँ मैं , कुछ धर्मों में पर्दा लाज़मी है , ज़रूरी हिजाब है ।
लेकिन कुछ बेग़ैरत रीति रिवाजों के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए हमेशा तैयार हूँ मैं , मेरे दिल में शोले जैसा भड़कता एक इनकलाब है ।
ऐसे चतुर चालाक लोगों से दूर रहना चाहता हूँ मैं , जिन्होंने चेहरे पर पहना हुआ शराफ़त का झूठा नक़ाब है ।
रईसी एक सौग़ात है , लेकिन ये अपने साथ चंद नागवार आदतें भी ले आती है , मीलों दूर रहना चाहता हूँ इन चीज़ों से , जैसे की सिगरेट और शराब है ।
एक ख़ुशहाल दुनिया , जहाँ चारों ओर हँसी हो , बहुत प्रेमभाव हो , मस्ती हो हर किनारे पर , ऐसी कायनात हो हमारी , ये मेरा ख़्वाब है ।
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा।

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