
मेरी पहली कविता “मेरी माँ” को सादर समर्पित।
हमेशा मेरे घर आने का इंतजार करती मेरी माँ!
जब भी घर पर रहूं तो अपने साथ खिलाती मेरी माँ!
मेरे घर जाने के दिन धूप में तो कभी बरसात में भी टक-टकी लगाती मेरी माँ!
आज भी छोटे बच्चों की तरह कभी पुचकारती तो कभी निहारती मेरी माँ!
कभी प्यार से समझाती तो कभी गुस्सा करती मेरी माँ!
मेरे जीवन की हरेक खुशी मेरी माँ!
मेरी पूरी दुनिया ही मेरी माँ!
©अविनाश कुमार चौधरी