
मैं भी इंसान हूँ,
दर्द मुझे भी होता है,
कभी महसूस करो
दिल मेरा भी रोता है।
भीड़ है तुम्हारे अपनों की,
मेरे लिए तो बस तुम हो,
जगता है दिन रात
दिल मेरा कब सोता है।
दोष तुम्हारा भी नहीं
खोटी मेरी तकदीर है,
बावला है मेरा दिल
काँटे खुद ही बोता है।
विकास सब्र रख जरा सा
मौत आ रही है तेरे पास,
भूल जाता है वो दुःख दर्द
जो उसकी बाहों में खोता है।
©® डॉ विकास