क्या मिला उस गली में आकर ।
चला गया वह आँख दिखाकर ।।
उनको दया क्यों नहीं आई ।
थक गया हूँ आँसू बहाकर ।।
किस दुख में दिन काट रहा हूँ ।
क्या मिलेगा उनको बताकर ।।
सोच रहा दिन रात यही मैं ।
क्या मिला उन्हें गले लगाकर।।
जब दुनिया सबकुछ जान चुकी।
अब क्या मिलना बात दबाकर ।।
भीम जो होना था हो गया।
अब क्या लाभ है उन्हें पाकर।।
भीम सिंह नेगी, गाँव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।
समांतक : आकर, दिखाकर, बहाकर, बताकर, लगाकर, दबाकर, पाकर