“ऐब” भी बहुत हैं मुझ में , और हैं “खूबियाँ” भी, हैं “कमियाँ” भी…….
ढूँढने वाले तू सोच, तुझे चाहिए क्या मुझ में…..दे रहा हूँ तुझे मौक़ा, वादा करता हूँ नहीं दूँगा तुझे धोखा…….
पहले तलाश ले मुझे , फिर तराश ले मुझे!
तलाश ले मेरी कमियाँ और मेरी खूबियाँ….
ख़ामियों को कर दे दरकरार, और खूबियों को रख बरकरार।
अभी मेरे अन्दर छिपी हुईं हैं अनेकों खूबियाँ , तराश ले मुझे , पर तराशना मुझे एक अनुभवी शिल्पकार की तरह।
पूरे जिस्म को तराशना, छिपी हुईं हैं अनेकों अच्छाईयाँ और खूबियों अनेकों जगह।
एक अच्छा शिल्पकार है होता है एक ऐसा अद्भुत कारीगर, जो पत्थरों को तराश उन में सुंदरता देता है भर।
यहाँ तू तू एक इन्सान को तराश रहा है, तो उजागर कर मेरे गुण, जानता हूँ इस काम में है तू निपुण।
अधेड़ उम्र है मेरी, मैल की परतें चढ़ चुकी हैं, कर दे इन्हें साफ़, ज़्यादा खताएँ मिली तो भी कर देना मुझे माफ़।
यकीनन ग़लतियों के मिलेंगे अंश, उन्हें कर देना नज़रंदाज़।
लेकिन जो नेकनामी के अंश मिलेंगे , उन्हें ना रखना एक राज़।
तभी तो इस सँसार के सामने खुल कर आ पाएगी मेरी शकसियत, मेरी इंसानियत , मेरी मासूमियत।
कुछ भी ना छुपाना इन दुनिया वालों से , बता देना इन्हें हक़ीक़त।
थोड़ा डरा हूँ ज़रूर हूँ , लेकिन फिर भी है हौंसला , जान बूझ कर तो आजतक नहीं की है कोई ख़ता।
किया है दान पुण्य, किए हैं नेक काम, और सब बाशिन्दों का किया है मैंने ऐहतराम।
आज इम्तिहान की घड़ी है, मौला मेरे चाहिए तेरी रहमत ।
इस इम्तिहान में कामयाबी मिली तो अपने आप को मानूँगा ख़ुशक़िस्मत!
लेखक——-निरेन कुमार सचदेवा।
No human being is perfect, we all make mistakes. The aim in life should be to not to repeat our mistakes and we should try to better ourselves each day .
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So beautiful rachna👌👌✍️✍️