” मेरी माँ “

” मेरी माँ “

आंचल मेरी माँ का, पावन पुनीत मनोरम।याद आता नित्य मुझे, माँ का लाड दुलार अनुपम।निस्वार्थ भाव से सेवा…
सजल

सजल

जीवन भर खटते ही रहना, कैसी उद्यमता है माँ की।सबको सुख दे, दुख ही पाना, अनिवार्य विषमता है…
सजल

सजल

हम न होंगे कभी, तब चलेगा पता।आदमी तो गया, रह ग‌ए देवता।। मौन निर्जीव सब, मूर्तियों-से खड़े।अब न…

ब्रह्मांड का नेत्र भगवान____””सूर्यसत्येन्द्र कुमार पाठक””

ब्रह्मांड का नेत्र भगवान सूर्यसत्येन्द्र कुमार पाठकसनातन धर्म का सौरसम्प्रदाय की ग्रंथों में भगवान सूर्य की उपासना का…